whatsapp की कहानी जैन कॉम की जुवानी
मैं यूक्रैन मैं पैदा हुआ ,जहां गरीवी के साथ भारी अव्यवस्था थी। मैं एक ऐसे स्कूल मैं पड़ा था ,जहां बाथरूम तक नहीं था ,सोलह की उम्र मैं माँ और दादी के साथ अमेरिका आ गया। यहां माँ आया का काम करती थी ,जवकि मैं दुकान मैं साफ सफाई का काम करता था। अंग्रेजी न जानने के कारन लोग मुझे परेशान करते थे। फिर प्रोग्रामिंग मैं मेरी रूचि पैदा हुई। इससे सम्बन्धित पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने कई कंपनियों मैं काम किया।
1997 मैं ब्रायन ऐक्टन से मेरी मुलाकात हुई। 2009 मैं ब्रायन और मैंने फेसबुक मैं नौकरी के आवेदन किया था , पर दोनों को ही नौकरी नहीं मिली। उसी दौरान मैं मेरे एक दोस्त अलेक्स फिशमैन के घर गया। वहां उसकी किचेन मैं चाय पिते हुए मैंने उसे एक एप डेवलप करने की योजना के वारे मैं बताया। एक सप्ताह बाद 24 फरबरी 2009 को ठीक अपने जन्मदिन पर मैंने वह एप डेवलप किया और उसका नाम व्हाट्सएप रखा। शुरुआत मैं व्हाट्सएप के प्रति लोगों ने रूचि नहीं दिखाई। पर एप्पल द्वारा पुश नोटिफिकेशन जोड़ने के बाद इसकी लोकप्रियता बड़ी।
थोड़े दिनों मैं मेरे आलावा फिशमैन के अनेक रुसी दोस्त भी मेसेजिंग टूल की तरह इसका इस्तेमाल करने लगे। फिर मेने ऐक्टन को भी WHASTAPP से जोड़ा। चूँकि यूक्रने मैं फ़ोन टैपिंग आम बात थी। इसलिए WHASTAPP की शुरुआत करते बक्त मैंने तीन सिद्धांतों का पालन करने का फैसला लिया -मेरे एप मैं कोई विज्ञापन नहीं होगा ,ये एप व्यक्ति की निजता का सम्मान करेगा और यह एप विश्वाश की कसौटी पर काम करेगा (NO ADDS ,NO GAMES ,NO गिमिक ) मुझे संतोष है की मैंने इन सिद्धांतों का पुरे तोर पर पालन किया। मैंने और ऐक्टन ने बहुत तेजी से आगे बढ़ने दिन की वजाए सिस्टम के टिकाऊपन और राजस्व पर फोकस किया। 2014 मैं मार्क जुकरबर्ग ने मुझे अपने घर पर डिनर पर आमंत्रित किया और मेरे सामने फेसबुक के बोर्ड पर शामिल होने का प्रस्ताव था। उसके 10 दिन के वाद FACEBBOK ने व्हाट्सएप का अधिग्रहण कर लिया। मैं मानता हूँ की अगर आप अपने काम मैं ईमानदारी और पारदर्शिता बरतते हैं ,तो आपको सफलता मिलेगी।
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